गयायै नमः गदाधराय नमः ।।
गयाजी के बारे में
गयाजी मे 45 स्थान श्राद्ध 9 स्थान पर तर्पण किया जाता है । गया श्राद्ध पिंडदान तर्पण को संपादित करने हेतु शास्त्रों ने इसे श्रद्धानुसार करने की आज्ञा दी है,
साथ ही इसे कई भागों में विभाजित किया है ,
एक दिवसीय – श्राद्ध तर्पण
तीन दिवसीय -श्राद्ध तर्पण
पांच दिवसीय श्राद्ध तर्पण
सात दिवसीय व सत्रह दिवसीय श्राद्ध तर्पण ।
हरि ॐ।
गयाजी स्थित( 54 )पिंडदान वेदी तीर्थ स्थल ।
गयायै नमः गदाधराय नमः
1. पुनः पुनः तीर्थ पिंडदान तीर्थ पुरोहित वरण
2. फल्गु नदी श्री फल्गु जी पर तर्पण श्राद्ध
3 .ब्रह्मकुंड ,
4. प्रेतशिला ,
5. रामशिला ,
6.रामकुंड
7. काकबलि श्राद्ध ।
8 .उतरमानस
9 उदीची
10 कनखल
11 दक्षिण मानस
12 जिव्हा लोल पंचतीर्थी श्राद्ध
13 भगवान गदाधर जी का पंचामृत स्नान
14 सरस्वती नदी स्नान तर्पण देवी दर्शन पंचरत्न दान ।
15 मातंग वापी
16 धर्मारण्य
17 महाबोधि वृक्ष बौद्ध गया दर्शन
18 ब्रह्म सरोवर श्राद्ध तर्पण व काकबलि -आम्रसिंचन ।
19 विष्णुपाद मंदिर में स्थित पिंड वेदी स्थल पर श्राद्ध विष्णु पद ,रुद्रपद , ब्रह्म पद ,कार्तिक पद , गाहपत्यागनी पद , आहवनिथाग्निपद ,सूर्यपद ,चन्द्र पद गणेश पद ,सभ्याग्नि पद ,आवसथ्यगनी पद, दधीचि पद , कण्व पद , मातंग पद, दक्षिणाग्नि पद , क्रौंच पद इंद्र पद , अगत्स्यपद , काश्यप पद , इत्यादि 21 वेदी पर श्राद्ध व गजकर्ण पद पर दुग्ध तर्पण अन्न दान का संकल्प ।
रामगया श्राद्ध सीता कुंड बालू का पिंडदान व सौभग्य समाग्री दान ।
गयाशिर ,गयाकूप श्राद्ध पिंडदान।
मुण्डपृष्ठा ,आदि गया ,धौत पद श्राद्ध
भीम गया, गौप्रचार गदालोल स्वर्ण पवित्री दान ।
फल्गु तट दुग्ध तर्पण ,वैतरणी गोदान ।
अक्षयवट श्राद्ध ,शय्या दान
गायत्री घाट मातामह पिंडदान
हरि ॐ
।। हरि ॐ ।।
। गयाजी एक दिवसीय कार्यक्रम ।
1. फल्गु महानदी तर्पण पितृ आवाहन श्राद्ध पिंडदान।
2.विष्णुपाद तीर्थ पर मंदिर में पिंडदान
3. अक्षवट तीर्थ पर तर्पण पिंडदान , सुफल ।
गयायै नमः गदाधराय नमः ।
तीन दिवसीय श्राद्ध पिण्डदान ।
तीन दिवसीय श्राद्ध पिंडदान में गया जी के 45 वेदियों स्थानों पर पिंडदान किये जाते है , जिसके निम्लिखित स्थान ऊपर दिए गए है ।
उसी तरह पांच दिवसीय श्राद्ध पिंडदान किये जाते है ।
।। हरि ॐ ।।
।।गयायै नमः गदाधराय नमः ।।
।।गयाजी का सात दिवसीय श्राद्ध पिंडदान कृत्य ।।
प्रथम दिन – प्रथम पुनपुन श्राद्ध करने के बाद फल्गु तीर्थ स्नान या मार्जन कर तर्पण व श्राद्ध ततपश्चात प्रेतपर्वत प्रेतशिला पर जाकर ब्रह्मकुंड तर्पण पिंडदान ,प्रेत शिला पिंडदान ,रामकुंड रामशिला काकबलि श्राद्ध ।
द्वितीय – दिवस पर पंच तीर्थ श्राद्ध तर्पण उत्तर मानस ,दक्षिण मानस ,उदीची कनखल ,जिव्हा लोल श्राद्ध तर्पण । भगवान गदाधर का अभिषेक पूजन पंचामृत स्नान ।
तृतीय– दिवस सरस्वती नदी स्नान मार्जन तर्पण ,धर्मारण्य ,मातंग वापी श्राद्ध पिंडदान ।
चतुर्थ – दिवस पर ब्रह्म सरोवर ,गोप्रचार आम्रसेचन , यम श्वान काकबलि ।
पाँचवे – दिवस पर सीता कुण्ड,रामगया श्राद्ध विष्णुपाद दर्शन ।
छठवे – दिवस पर श्री विष्णुपाद मंदिर स्थित 21 तीर्थ पर श्राद्ध तर्पण ।
सातवें – दिवस पर वैतरणी तर्पण गौदान , अक्षयवट श्राद्ध शय्या दान तीर्थ पुरोहित से सुफल आशीर्वाद ।