1. पितृ गायत्री का नित्य जप।
2. अमावस्या पर पितरों को तिलापर्ण ,ब्राम्हण भोजन कराना।
3. श्राद्ध पक्ष पर नित्य श्राद्ध करना।
4. विवाह आदि शुभ कार्य मे पितृ पूजन ,कुलदेवता पूजन करना आदि। ऐसा करने से शांति प्राप्त होती है लेकिन पूर्णतः समाधान के लिये त्रिपिंडी श्राद्ध व पितृ तीर्थ गयाजी में गया श्राद्ध करना ही अंतिम उपाय है जो सर्वथा योग्य ,आवश्यक व लाभकारी होता है । उसे श्राद्ध कहते है ।